कुछ समय पहले सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर अशोक भट्टाचार्य ने यह घोषणा की थी कि सिलीगुड़ी स्थित एयर व्यू मोड का नाम बदलकर गांधी चौक रखा जाएगा. महापुरुषों के नाम पर स्थानों के नाम रखने की हमारे देश में परंपरा रही है. यह अच्छी बात है. लेकिन महापुरुषों के नाम पर स्थान का नाम रखने से उस स्थान की गरिमा भी बढ़ जाती है. इसके साथ ही स्थान की स्वच्छता तथा ट्रैफिक नियंत्रण की आवश्यकता भी होती है. यह नहीं भूलना चाहिए.इससे नाम का सौंदर्य स्पष्ट होता है. वर्तमान हालत यह है कि एयर व्यू मोड पर शाम और सुबह 10:00 बजे तक ट्रैफिक जाम की भयानक समस्या देखी जाती है. दार्जिलिंग मोड की बात तो दूर की रही. नजदीक ही सिलीगुड़ी के कई स्थानों पर मुख्य चौराहों तथा सड़कों पर यातायात व्यवस्था अनियंत्रित सी हो गई है. हालांकि इनको नियंत्रित करने के लिए सिलीगुड़ी ट्रैफिक भी होता है, पर लाख कोशिश करने के बावजूद सिलीगुड़ी की ट्रैफिक व्यवस्था दिनोंदिन बदहाल होती जा रही है. इन दिनों दार्जिलिंग मोड पर खूब जाम लग रहा है, जिस को नियंत्रित करने के लिए ट्रैफिक पुलिस के आला अधिकारी प्रयास कर रहे हैं. हम पिछले कई दिनों से दार्जिलिंग मोड की जाम समस्या को लेकर लाइव प्रसारण भी कर रहे हैं. लेकिन स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं आया है. दार्जिलिंग के नवनिर्वाचित भाजपा सांसद राजू बिष्ट ने इस स्थिति को समझा है और उन्होंने सिलीगुड़ी की जनता को आश्वासन दिया है कि जल्द से जल्द समस्या का समाधान होगा. सूत्रों से पता चला है कि भाजपा सांसद की नितिन गडकरी से बात हो चुकी है. नितिन गडकरी ने भाजपा सांसद को आश्वासन भी दिया है. सिलीगुड़ी की दूसरी बड़ी समस्या गंदगी को लेकर हो रही है. आबादी बढ़ने के साथ ही गंदगी भी बढ़ी है. स्थानीय प्रशासन सिलीगुड़ी को स्वच्छ बनाने की कोई चेष्टा करते नहीं दिख रहा है. स्वच्छता अभियान के नाम पर मात्र खानापूर्ति की जाती है. उसके बाद सब कुछ पहले ही जैसा हो जाता है. सिलीगुड़ी में मूत्रालय और शौचालय की भारी कमी है.सिलीगुड़ी नगर निगम का दायित्व बनता है कि सिलीगुड़ी के लोगों की मांग तथा स्वच्छता को ध्यान में रखकर उसे उपलब्ध कराया जाए. मूत्रालय के अभाव में सिलीगुड़ी के लोग सड़कों के किनारे ही खुले में मूत्र त्याग करते हैं. विकास के इस युग में और जब हम न्यू इंडिया की बात करते हैं, वहां इस तरह का दृश्य देखा जाना शर्म की बात होती है.वह भी एक ऐसे शहर के लिए, जो पूर्वोत्तर का मुख्य द्वार कहा जाता है.