देश में ऐसा कोई भी नहीं होगा, जो डीजल और पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि से परेशान ना हो. सिलीगुड़ी में इसको लेकर लगातार धरना प्रदर्शन चल रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले फूंके जा रहे हैं. पर अब लगता है कि यह बीते दिनों की बात बन सकती है….
पिछले काफी दिनों से सिलीगुड़ी समेत देशभर में पेट्रोलियम पदार्थों की महंगाई से जनता त्रस्त है. लगभग रोजाना ही डीजल और पेट्रोल के मूल्यों में वृद्धि हो रही है. सिलीगुड़ी में तो पेट्रोल शतक लगा चुका है. डीजल पेट्रोल में मूल्य वृद्धि के खिलाफ आए दिन राजनीतिक दलों के प्रदर्शन सिलीगुड़ी शहर के विभिन्न इलाकों में होते रहे हैं. विपक्ष इसके लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार मानता है. जनता भी इसके लिए केंद्र सरकार को ही जिम्मेवार मानती है. केंद्र सरकार जनता और विपक्षी पार्टियों की लगातार आलोचना सुनती रही है. पर अब लगता है कि जनता और सरकार दोनों को ही राहत मिलने वाली है. जी हां, सिलीगुड़ी समेत पूरे देश की जनता को पेट्रोलियम उत्पादों की महंगाई से राहत मिलने के आसार बढ़ गए हैं.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड आयल यानी कच्चे तेल की कीमतों ने गोता लगाया है. पिछले 8 दिनों में कच्चे तेल की कीमतें 77.60 डॉलर प्रति बैरल से घटकर 68.4 $0 प्रति बैरल पर आ चुकी है. विश्लेषकों के अनुसार पिछले 10 महीनों में कच्चे तेल के दाम में सबसे बड़ी गिरावट है. जानकार मानते हैं कि इसकी वजह से भारत की सरकारी तेल कंपनियां जल्द ही पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में कमी का ऐलान कर सकती हैं. विश्लेषकों के अनुसार अगर पिछले 8 दिनों में कच्चे तेल के दाम में हुई सिर्फ 8.20 dollar की गिरावट के आधार पर आकलन करें तो पेट्रोल की खुदरा कीमत में₹4 जबकि डीजल में ₹5 प्रति लीटर की कटौती हो सकती है. मालूम हो कि केंद्र और राज्य सरकारों के लिए राजस्व संग्रह का सबसे बड़ा स्रोत पेट्रोलियम उत्पाद ही हैं. एक व्यक्ति पेट्रोल और डीजल का जितना खुदरा मूल्य चुकाता है उसमें 60% हिस्सा केंद्र और राज्य के खजाने में चला जाता है.