कोरोना की दूसरी लहर थमने के बाद पर्यटन व्यवसाय की हरियाली बढ़ने की उम्मीद लगाई जा रही थी कि इसी बीच राज्य सरकार के नए फरमान ने पर्यटन व्यवसायियों की परेशानी बढ़ा दी है. देश के अलग-अलग भागों तथा विदेशों से पर्यटक दार्जिलिंग, गंगटोक, उत्तर बंगाल के डूअर्स तथा यहां के ऐतिहासिक पर्यटक स्थलों की ओर आने लगे हैं. इससे होटल ,लॉज, गेस्ट हाउस आदि के गुलजार होने की उम्मीद पर्यटन व्यवसायियों को बढ़ गई थी. वह अपने होटलों, गेस्ट हाउस आदि को सजाने संवारने में जुट गए थे,पर इसी बीच सरकार की नई गाइडलाइन ने पर्यटकों के पर्यटक स्थलों पर जाने अथवा होटल में ठहरने पर जैसे ब्रेक लगा दिया है.
वास्तव में प्रशासन का फरमान है कि जब तक पर्यटक corona के दोनों टीके नहीं लगा लेते अथवा 48 घंटे पहले के आरटी पीसीआर की नेगेटिव रिपोर्ट नहीं दिखा देते, तब तक उन्हें होटल या रिसोर्ट में ठहरने पर पाबंदी रहेगी. एक तो देश भर में टीके की किल्लत है. दूसरे में कोरोना की पहली डोज लेने के बाद दूसरी डोज के लिए कम से कम 3 महीने का अंतराल होता है. जब तक दूसरा टीका लगेगा तब तक पर्यटन का मौसम भी चला जाएगा. अतः यह व्यवहारिक नहीं है. पर्यटक जो पहाड़ अथवा वन क्षेत्रों या doors में प्रकृति की हरियाली का दीदार करना चाहते हैं, उनमें से सभी ने दूसरी डोज ली हो, यह संभव भी नहीं है. इसी तरह आरटी पीसीआर की नेगेटिव रिपोर्ट सभी के पास हो, यह भी आवश्यक नहीं है. बहुत से पर्यटक यह चाहते हैं कि उन्हें उन सभी झंझट से मुक्ति मिले और वे सीधे पर्यटन स्थलों का लुफ्त उठाएं.
कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए सरकार ने स्थानीय प्रशासन को सख्त निर्देश दिया है कि ऐसे किसी पर्यटक की एंट्री को रोका जाए. जो सरकार के नए फरमान का पालन नहीं कर रहे हो.अब व्यवसायियों को चिंता हो रही है कि ऐसे में उनका पर्यटन कारोबार कैसे चलेगा. जब पर्यटक होटलों में रहेंगे ही नहीं,तो उनका होटल का धंधा जो पहले से ही ठप रहा है, अब और ठप हो जाएगा. मंदी की आशंका को देखते हुए अब जगह जगह से होटल, रिजॉर्ट प्रबंधन की ओर से सरकार के नए आदेश के खिलाफ आवाज उठने लगी है.
जलपाईगुड़ी में इसकी बानगी देखी भी गई. सरकार के दिशा निर्देश के खिलाफ रिजॉर्ट मालिकों ने मैटीली के बिडियो को ज्ञापन सौंपा. वास्तव में जलपाईगुड़ी के जिलाधिकारी मौमिता गोधरा ने पर्यटन व्यवसायियों के लिए नए दिशा निर्देश जारी किए हैं. अब पर्यटन व्यवसाई मांग कर रहे हैं कि उनका धंधा बचाने के लिए सरकार आगे आए.उन्होंने मांग की है कि पर्यटकों के लिए आरटीपीसीआर के बदले रैपिड एंटीजन टेस्ट को मान्यता दी जाए. उन्होंने यह भी कहा है कि पर्यटकों के टेस्ट के लिए अलग से कैंप लगाने की भी जरूरत है. गोरुमारा वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव देव कमल मिश्रा ने सरकार के नए फरमान के बाद पर्यटन का ग्राफ फिर से नीचे चले जाने की आशंका जताई है. अगर नियम कड़े होंगे तो भला कौन पर्यटक पर्यटक स्थलों की ओर रुख करना चाहेगा. लेकिन दूसरी ओर नैनीताल, मसूरी आदि पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की भीड़भाड़ और लापरवाही को देखते हुए देश को तीसरी लहर की दस्तक से बचाने के लिए प्रशासन का फैसला और पर्यटन व्यवसायियों के लिए जारी आदेश देश हित में ही कहा जा सकता है.