सिलीगुड़ी में जनवरी महीने में दो चीजें ज्यादा देखी जा रही हैं, पहली पिकनिक और दूसरी पॉलिटिक्स. हालांकि यहां जनवरी महीने में पिकनिक तो चलता रहता है, पर इस बार पिकनिक के साथ-साथ पॉलिटिक्स भी जारी है. आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता कार्यकर्ताओं को पिकनिक पर ले जा रहे हैं, जहां जमकर पार्टी और राजनीति दोनों की जा रही है. इसके अलावा सिलीगुड़ी में जनवरी महीने में विभिन्न राजनीतिक दलों के द्वारा जनसंपर्क अभियान भी चलाया जा रहा है.राजनीतिक दलों के नेता सिलीगुड़ी के युवाओं को अधिक से अधिक अपनी पार्टी में जोड़ रहे हैं और उन्हें अपनी पार्टी के पक्ष में झंडा उठाने के लिए पिकनिक दे रहे हैं, जहां दारू और चिकन का विशेष इंतजाम रहता है.
अपने कार्यकर्ताओं को पिकनिक पर ले जाने और पार्टी का आयोजन करने में तृणमूल कांग्रेस सबसे आगे है. पार्टी,पॉलिटिक्स के अलावा भी कई लड़कों के ग्रुप बनाकर पिकनिक पर जाना, पिकनिक के दौरान शराब पीकर हंगामा करने, रास्ते पर मारपीट और नशे में बहकने के अनेक उदाहरण आप देख सकते हैं. खासकर शनिवार और रविवार को नजदीक के पिकनिक स्थलों पर नौजवान लड़कों द्वारा पीकर हंगामा करने के अनेक मंजर आप देख सकते हैं. यह लड़के घर और रास्ते में भी हंगामा करते हैं. इसके कारण सभ्य शांति प्रिय लोगों को काफी परेशानी होती है. ऐसे मामलों में पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती.
क्योंकि यह चुनाव का साल है, इसका फायदा उठाने में राजनीतिक दलों के साथ-साथ क्लबों के लोग आगे आ रहे हैं. जहां जहां पिकनिक स्पॉट है, वहां के क्लबों के द्वारा पिकनिक मनाने आए लोगों से जोर जबरदस्ती पैसे लिए जा रहे हैं. इस तरह की कई शिकायत मिली हैं, जहां कुछ लड़कों के द्वारा पिकनिक मनाने आए लोगों से चंदा वसूला जाता है. कुछ समय पहले खबर समय में ही आपने मिलन मोड़ और सुकना के पिकनिक स्पॉट पर जबरन वसूली के समाचार और वीडियो देखे होंगे. ऐसे मामलों में पुलिस कार्रवाई करने की बात कहती है, मगर ऐसा होता नहीं है.
जहां तक सिलीगुड़ी के नौजवानों की बात की जाए, एक विशेष माहौल में रंगे इन नौजवानों को किसी की कोई फिक्र नहीं रहती. उन्हें तो सिर्फ पिकनिक अथवा पार्टी चाहिए. उन पर नकारात्मकता सवार रहती है. इस कारण वे घरवालों की बात भी नहीं सुनते और घर परिवार की जिम्मेदारी से दूर भागते हुए धीरे-धीरे गैर जिम्मेदार बनते जाते हैं. सिलीगुड़ी में ऐसे गैर जिम्मेदार लोग गली-गली में मिल जाएंगे. इनका फायदा राजनीतिक दलों के नेता उठाते रहते हैं. जब तक उन्हें अपने कैरियर और भविष्य का एहसास होता है, तब तक समय काफी निकल चुका होता है. जहां उन्हें पछताने के अलावा हाथ कुछ नहीं लगता. माना कि नए साल का जश्न होना चाहिए, लेकिन ऐसा जश्न किस काम का, जहां गैर जिम्मेदारी, पलायन और भविष्य की तबाही का मंजर तैरता नजर आता हो. सिलीगुड़ी के नौजवानों को चाहिए कि अपने आत्मबल, विवेक शक्ति और दृढ़ संकल्प को जागृत करके नए साल का ऐसा जश्न मनाएं, जहां उनके जीवन में बदलाव के रास्ते मुखरित हो सके…