एक ओर जब देश के कई राज्यों में लॉटरी के व्यवसाय पर रोक लगा दिया गया है,तो वहीं पश्चिम बंगाल में लॉटरी का धंधा खूब फल-फूल रहा है. सिलीगुड़ी में ऐसी कोई जगह नहीं होगी, जहां लॉटरी बेचते हुए दुकानदार मिल ना जाएं. हजारों लोगों की रोजी रोटी का जरिया बना लॉटरी का धंधा सड़कों से होकर अब गलियों तक में छा गया है. दुकान लगाने के लिए किसी से अनुमति की भी जरूरत नहीं है. अपने घर के पास अथवा सड़क पर टेबल कुर्सी लगाकर बैठ जाइए. लॉटरी का व्यवसाय करने वाले रोजी रोटी तो कमा ही रहे हैं, लेकिन हजारों घरों को बर्बाद भी कर रहे हैं. लखपति और करोड़पति बनने के लालच में गरीब मजदूर से लेकर मध्यम वर्ग तक के लोग लॉटरी का टिकट खरीदते हैं. मध्यमवर्ग पर तो उतना असर नहीं पड़ता, जितना कि ऐसे लोगों, जो जैसे तैसे अपने परिवार का पेट भरते हैं. उनकी गाढ़ी कमाई का बड़ा हिस्सा टिकट पर ही खर्च हो जाता है. उन्हें छोटे-मोटे पुरस्कार की राशि के अलावा कुछ नहीं मिलता. लेकिन इतना कुछ पाने के लिए भी उन्हें काफी कुछ गवाना पड़ता है. कहते हैं कि लॉटरी का नशा घर परिवार सब तबाह कर देता है. जो लोग इसके शिकार हो जाते हैं,बड़ी मुश्किल से वे खुद को बचा पाते हैं.इस तरह के कई हादसे सिलीगुड़ी में हो चुके हैं, जब लॉटरी के धंधे ने व्यापारियों की दुकान तक उजाड़ डाली. वास्तव में लॉटरी का धंधा शातिर दिमाग के लोगों द्वारा साधारण लोगों को लूटने की एक नायाब चाल होती है. जिसको समझ पाना साधारण लोगों के लिए आसान नहीं होता.अपने व्यवसाय को चमकाने के लिए लॉटरी व्यवसाई बड़े-बड़े पुरस्कारों को पाने वालों के बारे में बड़ी बड़ी बातें कह कर ग्राहकों को अपने जाल में फांस लेते हैं. ग्राहक को लगता है कि वह भी अमीर बन सकते हैं.इसी प्रलोभन में वे लुटते जाते हैं.
अब लोगों को धीरे धीरे समझ में आने लगा है. कुछ संगठन लॉटरी के धंधे का विरोध करने लगे लगे हैं. कांग्रेस संगठन की तरफ से भी विरोध के स्वर बुलंद होने लगे हैं. लेकिन वे इसका दूसरे तरीके से विरोध कर रहे हैं. लॉटरी व्यवसाय पर गहराई से समझने की जरूरत है. लॉटरी का धंधा करने वाली एजेंसियों पर निगरानी के अलावा प्रशासन को ऐसे धंधों के विकल्प स्रोत पर भी विचार करना चाहिए, अन्यथा यह धंधा जिस तेजी से सिलीगुड़ी में फल फूल रहा है, उससे तो हजारों परिवार बर्बाद हो जाएंगे. सिलीगुड़ी में दारू का नशा के साथ साथ लॉटरी का नशा भी मिल जाए तो समझो कि आपकी जिंदगी बर्बाद हो गई.