एक ओर जहां देश के कई राज्यों ने लॉटरी के धंधे पर रोक लगा रखी है, वहीं पश्चिम बंगाल, सिक्किम आदि राज्यों में लॉटरी का धंधा खूब फल फूल रहा है. जहां तक सिलीगुड़ी की बात है, सिलीगुड़ी में चप्पे-चप्पे पर आपको लॉटरी की दुकान मिल जाएगी. रंग बिरंगी गोल छतरी के नीचे कुर्सी मेज लगा कर लॉटरी का टिकट बेचते दुकानदार मिल जाएंगे और ग्राहक भी. एक अनुमान के अनुसार सिलीगुड़ी में 5000 से ज्यादा ऐसे स्टॉल हैं, जहां बच्चों से लेकर नौजवान, बूढ़ों तक अपनी किस्मत को आजमाने का फैसला करने के लिए पहुंच जाते हैं. लॉटरी खरीदने वालों में ज्यादातर नौजवान, गरीब, दैनिक मजदूर, श्रमिक, छोटे व्यवसाई या फिर रिक्शा वाले, चाय वाले, नौकरी पेशा आदि विभिन्न वर्गों के लोग अपनी किस्मत आजमाने के लिए लॉटरी स्टाल पर जाते हैं और अपनी पसंद का नंबर लेना नहीं भूलते. सिलीगुड़ी में आप किसी भी क्षेत्र में चले जाइए. इस तरह के स्टॉल और ग्राहक जरूर मिल जाएंगे. लॉटरी के पेशे में आए व्यक्ति अपना रोजगार चमकाने के लिए कुछ ना कुछ युक्ति ढूंढते रहते हैं.जैसे कभी यह प्रचार करवा दिया कि अमुक व्यक्ति को 40 लाख का इनाम निकला या फिर एक छोटे से दुकानदार को 52 लाख का प्राइज निकला. जैसा कि गत मार्च अप्रैल महीने में इसी तरह की एक पब्लिसिटी कराई गई थी कि जलपाई मोड के पास रहने वाले एक व्यक्ति को 52 लाख रुपए का प्राइज निकला था. इसमें कितनी सच्चाई है, लोग सच्चाई को जानने की जहमत भी नहीं उठाते और लॉटरी विक्रेता की बातों पर भरोसा कर लेते हैं. जब जब कोई छोटा बड़ा इनाम निकलता है, तो उसकी खूब पब्लिसिटी की जाती है. इस तरह से यह धंधा और तेजी से जोर पकड़ने लगता है.अगर किसी किसी व्यक्ति को कोई प्राइज पड़ जाए तो उसका जोरदार प्रसार किया जाता है, ताकि उसकी देखा देखी अनेक लोग टिकट लेने के लिए स्टॉल पर आएं और इस तरह से लॉटरी व्यवसाई का धंधा चलता रहे.श्रमिक, दैनिक वेतन भोगी, रिक्शेवाले आदि अनेक लोगों की हालत ऐसी है कि वे भले ही घर में रुखा सूखा खा लें, किसी तरह गुजर बसर कर लें, लेकिन अमीर बनने का नशा उन पर इस कदर सवार रहता है कि वे रोजाना 50 से ₹100 तक लॉटरी का टिकट खरीदने में ही गंवा देते हैं. सिलीगुड़ी में ऐसे कई परिवार हैं जो अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पाते,लेकिन लॉटरी का टिकट खरीदने के लिए उनके पास 100 या ₹200 रुपए रोजाना जरूर होते हैं. अगर घर में पैसा ना हो तो यह किसी से उधार मांग कर या अपना कोई बेशकीमती सामान गिरवी रखकर कहीं ना कहीं से लॉटरी के पैसे का जुगाड़ कर ही लेते हैं. सिलीगुड़ी का ऐसा कोई भी वार्ड नहीं होगा, जहां या धंधा चलता ना हो. हमारी सरकार को भी पता है. सिलीगुड़ी प्रशासन, पुलिस, कानून सबको सचाई का पता है. लेकिन इसके बावजूद ऐसे धंधे पर रोक लगाने की बजाए ऐसे धंधे को सरकार यह कह कर उत्साहित करती है कि इससे लाखों परिवारों का गुजर-बसर होता है. लेकिन लॉटरी के धंधे से कुछ परिवारों का भले ही गुजर बसर हो जाए, हजारों परिवार तो यूं ही बेमौत मारे जाते हैं. फिर यह कैसा धंधा. कुछ लोग तो ऐसे भी हैं जो लॉटरी के नशे में इस कदर आकंठ डूब चुके हैं कि वे अपनी पत्नी या मां के गहने तक घर से गायब कर देंगे और उनको बेचकर लॉटरी का टिकट जरूर लेंगे. जिस तरह से सिलीगुड़ी में लॉटरी का धंधा फल फूल रहा है, अगर इस पर नियंत्रण पाने अथवा रोक लगाने की चेष्टा नहीं की गई तो ना जाने कितने बच्चे अनाथ हो जाएंगे. कितने परिवार टूट कर बिखर जाएंगे और ऐसी ऐसी हृदय विदारक घटनाएं देखने सुनने को मिल सकती हैं, जिनकी किसी ने कभी कोई कल्पना भी नहीं की होगी.