एक तरफ जहां दुनिया के बड़े बड़े देश आर्थिक मंदी के शिकार हो रहे हैं,वही भारत की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटती दिख रही है. वित्त मंत्रालय ने संकेत दिया है कि भारत की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है. जुलाई में जीएसटी मद में 1.16 लाख करोड़ रुपए प्राप्त हुए हैं. यह पिछले वर्ष जुलाई के मुकाबले 33% ज्यादा है.इस साल जून में जीएसटी संग्रह की राशि ₹ 92849 रुपे की थी. पिछले 9 महीनों में जून महीने को छोड़कर मासिक जीएसटी संग्रह ₹100000 करोड़ से ज्यादा रहा है, जो यह बताता है कि कोरोना महामारी के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्र मजबूत तथा गतिशील बने हुए हैं.
वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक जीएसटी संग्रह की 116393 करोड़ रुपए की राशि में से ₹22197 करोड़ रूपी केंद्रीय जीएसटी के तौर पर ₹28541 राज्य जीएसटी के तौर पर, 28541 करोड रुपए राज्य जीएसटी के तौर पर, जबकि 57884 करोड रुपए इंटीग्रेटेड जीएसटी के तौर पर तथा ₹7790 करोड़ रूपए सेस के तौर पर प्राप्त हुए हैं.
इस बीच सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला किया है.अब पांच करोड़ रुपए से अधिक के कारोबार वाले जीएसटी करदाता अपने वार्षिक रिटर्न स्वप्रमाणित कर सकेंगे. अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड के नए निर्देश के अनुसार उन्हें अपने रिटर्न को चार्टर्ड अकाउंटेंट से अनिवार्य ऑडिट सत्यापन कराने की जरूरत नहीं होगी. जीएसटी कानून के तहत वित्त वर्ष 2020 21 के लिए दो करोड़ रुपए तक के सालाना कारोबार वालों को छोड़कर अन्य सभी इकाइयों के लिए वार्षिक रिटर्न gstr-9a दाखिल करना अनिवार्य है.इसके अलावा ₹5 करोड़ से अधिक के कारोबार वाले करदाताओं को फार्म जीएसटीआर 9c के रूप में रिकॉन्सिलिएशन स्टेटमेंट यानी समाधान विवरण जमा कराने की जरूरत होती है.