सिलीगुड़ी समेत पूरे राज्य में विभिन्न सामाजिक ,सांस्कृतिक और छात्र अभिभावक संगठनों, राजनीतिक दलों और शैक्षणिक संस्थानों द्वारा राज्य में स्कूल कॉलेज खोले जाने के संदर्भ में एक ही बात कही जा रही है कि जब सरकार ने एक-एक करके सब कुछ खोल दिया है, तो फिर स्कूल क्यों नहीं खोला जा रहा है. राज्य में उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम हर जगह छात्रों, अभिभावकों और सामाजिक संगठनों का एक ही कहना है कि जब राज्य में होटल से लेकर रेस्टोरेंट तक, बार से लेकर शराब की दुकानें तक सब कुछ खुल गए हैं तो ऐसे में स्कूल कॉलेज क्यों नहीं खोले जा रहे.आखिर सरकार बच्चों का भविष्य क्यों बर्बाद करना चाहती है.
ऑल इंडिया महिला सांस्कृतिक संगठन ने भी स्कूल खोले जाने को लेकर धरना प्रदर्शन दिया है. सिलीगुड़ी में प्रधान डाकघर के सामने संगठन के सदस्यों ने स्कूल कॉलेज शीघ्र खोले जाने की मांग को लेकर अपनी आवाज बुलंद की. राजनीतिक दल और छात्र संगठन भी छात्रों के संग मजबूती से खड़े हुए हैं. भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई छात्रों के संग मजबूती से खड़ी है. पश्चिम बंगाल सरकार में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी तथा अन्य भाजपा विधायकों ने राज्य के छात्रों की लड़ाई में सक्रिय रूप से भाग लेना शुरू कर दिया है. अब तो हाई कोर्ट ने भी राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.
कोलकाता हाई कोर्ट ने कहा है कि जब सब कुछ सामान्य हो रहा है, ऐसे में सरकार स्कूल के दरवाजे क्यों बंद कर रखी है. राज्य सरकार ने हाई कोर्ट से इस संदर्भ में विचार करने के लिए 1 हफ्ते का समय मांगा है. हाईकोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया है.
विश्वसनीय सूत्रों ने बताया कि हाई कोर्ट समेत विभिन्न संगठनों के चारों तरफ से सरकार पर पड़ रहे दबाव को देखते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी संभव है कि अगले हफ्ते तक इस संदर्भ में कोई महत्वपूर्ण घोषणा कर सकती है. जानकारों का मानना है कि मुख्यमंत्री का फैसला सकारात्मक होगा और छात्रों के हित में होगा. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि संभव है कि फरवरी महीने में स्कूल कॉलेज खोले जाने के संदर्भ में सरकार फैसला कर सके.
स्कूल कॉलेज नहीं खोले जाने से बच्चे पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं. उनका भविष्य तबाह हो रहा है. कोरोना के कारण लगभग 2 सालों तक स्कूल कॉलेज बंद रहे. क्या सरकार इस बात का इंतजार कर रही है कि जब तक राज्य में कोरोना रहेगा,तब तक स्कूल कॉलेज नहीं खुलेंगे. लेकिन क्या सरकार जानती है कि corona की विदाई हो रही है. जिस तरह से डब्ल्यूएचओ ने कहा है उसके हिसाब से कोरोना फिलहाल तो नहीं जा रहा. ऐसे मे क्या तब तक स्कूल कॉलेज बंद रखे जाएंगे.
यह भी मान लेते हैं कि सरकार कोरोना में बच्चों का जीवन जोखिम में डालना नहीं चाहती पर दूसरी ओर तर्क देने वाले अभिभावक और छात्र यह कह रहे हैं कि अगर सरकार को बच्चों की जान की चिंता और कोरोना का इतना ही डर है तो फिर सब कुछ बंद किया जाना चाहिए. केवल स्कूल कॉलेज बंद कर देने से क्या कोरोना का संक्रमण थम जाएगा.
अध्ययन बताते हैं कि राज्य में स्कूल कॉलेज नहीं खोले जाने से अनेक विद्यार्थियों ने पढ़ाई से नाता तोड़ लिया है और अब वे दूसरे कामों में लग गए हैं. हालांकि सरकार ऑनलाइन क्लासेज को बढ़ावा दे रही है पर ऐसे ऑनलाइन क्लासेज का फायदा सभी बच्चों को नहीं मिल रहा. सबसे ज्यादा प्रभावित साधारण परिवार के बच्चे हो रहे हैं. संगठनों का मानना है कि सरकार कोविड-19 विधि के अनुसार स्कूल कॉलेज खोले जाने की अनुमति प्रदान करे तो छात्रों के हक में यह एक अच्छा फैसला होगा. अब देखना यह है कि सरकार अगले हफ्ते कोलकाता हाईकोर्ट में क्या हलफनामा देती है.