कोलकाता: पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले गोरखा समुदाय के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पृथक गोरखालैंड की बहुप्रतीक्षित मांग पर गौर करने की अपील की है। गोरखाओं के एक गैर-राजनीतिक संगठन नेशनल गोरखालैंड कमेटी (एनजीसी) ने भाजपा सरकार से पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग पहाड़ी क्षेत्र में एक अलग राज्य गोरखालैंड के निर्माण की उनकी मांग पर एक चिट्ठी लिखी है। एनजीसी के पदाधिकारियों ने कहा कि गोरखाओं के लिए अलग राज्य ही 100 साल से अधिक पुरानी मांग का एकमात्र राजनीतिक समाधान होगा। गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) के नेता नीरज जिम्बा, जिन्होंने मई में दार्जिलिंग विधानसभा उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी, ने भी इस मांग का समर्थन किया।
गोरखाओं के अखिल भारतीय गैर-राजनीतिक संगठन के अध्यक्ष सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल शक्ति गुरुंग ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गोरखाओं के इस संगठन में कई पूर्व सेना अधिकारी, नौकरशाह, कार्यकर्ता इसके सदस्य हैं। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (बिमल गुरुंग गुट), जीएनएलएफ, ऑल इंडिया गोरखा लीग (एआईजीएल) जैसे विभिन्न गोरखालैंड पार्टियों के लोगों ने गोरखालैंड का समर्थन किया है। समिति ने दार्जिलिंग पहाड़ियों के लिए एक अलग केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा है। एनजीसी के सचिव, मुनीश तमांग ने कहा, “हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार 2014 और 2019 में किए गए चुनावी वादों को ध्यान में रखते हुए गोरखालैंड की मांग को जल्द से जल्द हल करे। गोरखालैंड के एक राज्य को सांवैधानिक व राजनीतिक समाधान प्रदान किया जाना चाहिए। हम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार द्वारा की गई राजनीतिक प्रदर्शन की सराहना करते हैं, जो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के साथ किया गया है। समान राजनीतिक इच्छाशक्ति गोरखालैंड के मामले में लागू किया जाना चाहिए। सभी हितधारकों के साथ बातचीत शुरू की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, “1986 में प्रचलित गोरखालैंड आंदोलन की शुरुआत से ही पहाड़ियों में संविधान की छठी अनुसूची का राज्यव्यापी कार्यान्वयन प्रमुख मांग रही है। दार्जिलिंग मेंजून 2017 में अलग राज्य की मांग को सबसे हिंसक आंदोलन – 104 दिनों तक चला था।