दार्जिलिंग: दार्जिलिंग को पहाड़ों की रानी कहा जाता है पर्यटक देश विदेश से यहां घूमने और दार्जिलिंग के हसीन वादियों का लुफ्त उठाने आते हैं | दार्जिलिंग की सुंदरता को लेकर कितने ही लेखक ने किताबें लिख डाली, तो कितने ही फिल्मकारों ने फिल्म बना डाली, पर कहते हैं ना सिक्के के दो पहलू होते हैं आज 21 वी सदी में भी दार्जिलिंग के लोग बड़ी दयनीय जीवन बिता रहे हैं | सरकारें तो आती है और जाती हैं वादे बहुत किए जाते हैं लेकिन आज भी दार्जिलिंग की हकीकत वही है, जो पहले थी कुछ लोग दाने-दाने के लिए मोहताज है, तो कुछ लोग शिक्षा से वंचित है, बात जब इलाज की हो तो आज भी वहां इलाज ना होने के कारण लोग मर रहे हैं | पर देखने वाला कोई नहीं बड़े-बड़े नेता बड़े-बड़े मंचों से दार्जिलिंग को लेकर भाषण तो बहुत अच्छी दे देते हैं | लेकिन जमीनी हकीकत से रूबरू होने के लिए जमीन लोगों से मिलना पड़ता है, उनके दुख को महसूस करना पड़ता है, पहाड़ों की रानी दार्जिलिंग में कई ऐसे इलाके हैं जहां लोगों को एंबुलेंस नहीं मिलते हैं सड़के नहीं है बीमार मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए लोगों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है | कई मरीज तो अस्पताल ले जाते वक्त रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं | दार्जिलिंग की राजनीति की बात करें तो वहां रोज नया खेल खेला जाता हैं | वहां की जनता ठगी जाती है आम इंसान कुछ भाषणों के सहारे नेता बन जाता है और अपनी झोली सरकार द्वारा भर लेता है और आम जनता वही मायूस दर्शक बनी बैठी हुई है | आज पर्यटक दार्जिलिंग की नाम सुनकर वहां भ्रमण के लिए पहुंचते हैं | लेकिन दार्जिलिंग के जमीन से जुड़े लोग आज भी दयनीय अवस्था में जीवन यापन कर रहे हैं | दार्जिलिंग की वर्तमान हालत को देखकर बस यही कहावत याद आती है कि ”दूर के ढोल सुहाने लगते हैं ” |