पिछले 2 सालों से अनेक बच्चों ने स्कूलों का मुंह तक नहीं देखा. पढ़ाई लिखाई की तो बात ही छोड़िए. उनके व्यक्तित्व पर जो असर पड़ रहा है, अब वह जगजाहिर होने लगा है. विभिन्न अध्ययन और सर्वे भी यही बताते हैं. कोरोना संक्रमण के चलते मार्च 2020 से ही बच्चों के स्कूल बंद हो गए तो पूरा साल गुजर गया. इसके बाद 2021 में स्कूल खुलने शुरू हुए. हालांकि कई राज्यों में प्राथमिक कक्षाओं के स्कूल नहीं खोले गए. कुछ ही दिनों पहले कोरोना की ओमीक्रॉन लहर में एक बार फिर से बच्चों के साथ साथ बड़ों के भी स्कूल बंद हो गए हैं. इस तरह से देखा जाए तो पिछले 2 सालों से बच्चों का स्कूल से नाता टूट सा गया है. इसके कारण बच्चों में तरह-तरह के विकार उत्पन्न हो रहे हैं. उनका मानसिक तनाव बढ गया है.बच्चों में डर की स्थिति भी उत्पन्न हो रही है.
विशेषज्ञों के अनुसार बच्चों की पढ़ाई तो बाधित हो ही रही है. उनका मानसिक और भावनात्मक विकास भी रुक गया है. विशेषज्ञ बता रहे हैं कि लगभग 2 सालों से बच्चों की दुनिया केवल अपने घरों तक सिमट कर रह गई है. ऐसे बच्चों के मानसिक हालात को समझते हुए विशेषज्ञों के सर्वे में कई एक बातें सामने आई है. इसके अनुसार बच्चों की इस स्थिति पर अगर जल्द से जल्द ध्यान नहीं दिया गया तो समस्या काफी गंभीर हो सकती है.
दिल्ली सरकार बच्चों की उपरोक्त स्थिति पर एक स्टडी करवा रही है. दिल्ली सरकार की यह स्टडी सकारात्मक पहलू को ध्यान में रखकर करवाई जा रही है. अगर बच्चों में भय और तनाव की स्थिति है तो उसे कैसे दूर किया जाए.इसी तरह की स्थिति के लिए दिल्ली सरकार ने पहले से ही हैप्पीनेस करिकुलम जारी किया है.हैप्पीनेस करिकुलम वास्तव में स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के मेंटल, इमोशनल आदि का ध्यान रखने पर केंद्रित है. मौजूदा समय में यह और भी महत्वपूर्ण हो गया है. अब दिल्ली सरकार समय के अनुसार इसको अपडेट करने जा रही है.
सबसे बड़ी समस्या यह है कि बच्चों के अंदर से व्याप्त विकार को कैसे दूर किया जाए. किस तरह से बच्चे एक बार फिर से सामान्य स्थिति में लौट सकें. उनका मनोबल किस प्रकार बढ़ाया जाए. इस पर विचार करने की जरूरत है. यही कारण है कि दिल्ली सरकार ने वर्तमान स्थितियों में इस पर अध्ययन करने का फैसला किया है. दिल्ली सरकार की तर्ज पर देश के दूसरे राज्यों की भी भरसक यही कोशिश होनी चाहिए. इस तरह से अगर बुनियादी स्तर पर समस्या का समाधान कर लिया जाता है तो आगे बच्चों को अन्य परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा. फिलहाल यही कोशिश होनी चाहिए कि जल्द से जल्द बच्चों के स्कूल खुलें. पश्चिम बंगाल सरकार जल्द ही इस पर एक उच्च स्तरीय बैठक करने जा रही है. अपने अपने तरीके से राज्य सरकार स्कूल और बच्चों पर स्टडी करके एक पॉजिटिव वातावरण कायम करें तो सबसे बेहतर होगा.