सिलीगुड़ी शहर में परिवहन ठेकेदार एजेंटों की दादागिरी इतनी बढ़ गई है कि वह जो चाहे कर सकते हैं!आज सिलीगुड़ी शहर में इसी तरह की एक घटना घटी, जिसमें ओला कैब के मालिक की दादागिरी खुलकर सामने आई है. खबर समय को मिली जानकारी के अनुसार एक व्यक्ति ने ज्योति नगर से गोयल प्लाजा तक एक ओला कैब बुक कराया था. यह बुकिंग ओला एप के जरिए हुआ था. एप के जरिए ही बुक कराने वाले व्यक्ति को बुकिंग के पश्चात की संपूर्ण जानकारी दे दी गई.बुककर्ता आश्वस्त हो गया. लेकिन अभी ज्यादा समय भी नहीं हुआ था, केवल 5 मिनट के अंदर ही पॉप अप मैसेज प्राप्त हुआ, जिसके अनुसार ओला कैब के चालक ने यह बुकिंग कैंसिल कर दी थी. इससे कैब बुक कराने वाला व्यक्ति काफी परेशान हो गया. इसके बाद उसने ओला कैब के चालक से बात की और अचानक कैब कैंसिल का कारण पूछा, तो उसने जवाब दिया कि उसने दो बार बुक कराने वाले व्यक्ति यानी मुझे कॉल किया था, लेकिन मैंने उसका जवाब नहीं दिया और फोन भी नहीं उठाया, जबकि सच्चाई यह है कि ड्राइवर ने बुक कराने वाले व्यक्ति के मोबाइल पर कोई भी कॉल नहीं किया था. बुक कराने वाले व्यक्ति ने चालक से सच्चाई जानने की कोशिश की, लेकिन उसने आगे कुछ नहीं बताया. केवल इतना ही नहीं, ओला कैब कैंसिल कराने का ₹50 चार्ज भरने का भी फरमान जारी हो गया. कहा गया कि अगर मैंने यह चार्ज नहीं भरा ,तो अगली बुकिंग में उक्त राशि को डिडक्ट कर लिया जाएगा.ओला आरक्षण कराने वाले व्यक्ति को और आश्चर्य हुआ कि उसने कभी ओला कैब को कैंसिल ही नहीं किया ,तो कैंसिलेशन चार्ज का क्या मतलब! इसके बाद बुक कराने वाले व्यक्ति ने ओला कैब के मालिक को फोन लगाया और उससे डिटेल्स मांगा कि कब उसने ओला कैब कैंसिल कराया था और यह भी जानने की कोशिश की कि चालक ने कब उन्हें फोन किया था. बुक कराने वाले व्यक्ति ने स्थानीय ओला कैब मालिक से वह कॉल दिखाने के लिए भी कहा, जिसमें चालक ने बुक कराने वाले व्यक्ति को फोन करने की बात कही थी. इस पर ओला कैब मालिक ने टालने के ख्याल से कहा कि वह चेक करके बताएगा. लेकिन अब तक उसने कोई जवाब नहीं दिया है. ओला कैब मालिकों तथा चालकों का जिस तरह से रवैया यात्रियों के प्रति होता जा रहा है, ऐसे में यात्रियों के सामने एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है कि कैसे ओला कैब पर भरोसा किया जा सके. कुछ समय पहले दिल्ली जैसे शहर में ओला कैब मालिकों के मनमाने पूर्ण रवैया पर प्रशासन ने सख्त हस्तक्षेप लिया था.आज आवश्यकता इसी बात की है कि ओला कैब के इस तरह के व्यवहार पर अंकुश लगाया जाए तथा यात्रियों व ओला कैब बुक कराने वाले व्यक्ति के प्रति उनकी जिम्मेवारी निर्धारित हो सके.यहां प्रश्न यह उठता है कि ग्राहक ने जब ओला कैब कैंसिल ही नहीं कराया तो वह कैंसिलेशन चार्ज का भुगतान क्यों करे? आखिर ओला कैब ने बुक कराने वाले व्यक्ति के साथ ऐसा सलूक क्यों किया?इस तरह के कई सवाल उठते हैं. संबंधित विभाग को इस पर ध्यान देने की जरूरत है.साथ ही ओला कैब मालिकों की दादागिरी पर रोक लगाने की जरूरत है, अन्यथा उसका भी अंजाम दिल्ली जैसा हो सकता है, इसमें संदेह नहीं.