आप सिलीगुड़ी के किसी भी बाजार में चले जाइए. महंगाई आपका स्वागत करती मिल जाएगी. ना केवल खाने पीने के सामान बल्कि साग सब्जी के भाव भी आसमान छू रहे हैं. ऐसी कौन सी वस्तु है जिसकी कीमत में आग ना लगी हो! एक माचिस तक महंगी हो गई है. 2- 3 महीने पहले आपका किचन साग सब्जियों और तरह-तरह के सामानों से भरा रहता था. क्या आज भी आप वैसा ही देख रहे हैं? शायद नहीं.
क्योंकि महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ कर रख दी है. आलू से लेकर टमाटर… परवल से लेकर करेला, भिंडी ,लौकी, लाल साग, प्याज ,सलाद के सामान, निंबू मिर्च आदि के अलावा दाल, तेल ,आटा, चावल, मसाला, नमकीन, दूध ,दही…ए टू जेड सब महंगा हुआ है.
जो लोग मांसाहार हैं वे भी अब मांस मछलियों के सेवन में कंजूसी बरत रहे हैं. क्योंकि मांस के साथ-साथ मछलियां भी सिलीगुड़ी के बाजार में महंगी बिक रही हैं. चिकन मटन सब के दाम बढ़े हुए हैं. दवाइयां तो पहले से ही महंगी हो गई है. इस तरह से ऐसा कोई भी सामान नहीं जिसे आप सस्ता कह सकें अथवा यह कह सके कि उसका दाम नहीं बढ़ा है.
इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान भी महंगे हुए हैं.आप सिलीगुड़ी के किसी भी बाजार में चले जाइए. पता चल जाएगा कि केवल कुछ ही दिनों में इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान कितने महंगे हो गए हैं. इस समय फ्रिज, कूलर, एसी सब के दाम बढ़े हुए हैं. लोगों की क्रय शक्ति से बाहर यह सारे सामान होते जा रहे हैं. आवश्यकता है लेकिन जेब साथ नहीं दे रहा है. लोगों को मन मसोसकर रह जाना पड़ता है.
इस महंगाई पर नियंत्रण रखने में सरकार भी लाचार है. सरकार ने हाथ खड़े कर दिए हैं. हालात ऐसा है कि कोई भी कुछ नहीं कर सकता. रूस यूक्रेन युद्ध के चलते कच्चे तेल के दामों में जो बड़ी उछाल आई है, उसने लोगों का जीना हराम कर दिया है. 22 मार्च 2022 से सरकारी तेल कंपनियों ने ईंधन के दाम बढ़ाने शुरू किए. अब तक डीजल ₹10 प्रति लीटर महंगा हो चुका है. अगर डीजल महंगा होता है तो इसका मतलब ट्रांसपोर्टेशन महंगा हुआ. ट्रांसपोर्टर्स ने 10% तक माल भाड़ा बढ़ा दिया है. इसके चलते वस्तुएं महंगी हुई हैं.
1 अप्रैल से घरेलू प्राकृतिक गैस के दामों में दोगुनी बढ़ोतरी हो चुकी है. पीएनजी महंगा हो चुका है. इस तरह से कहा जाए तो आज वह पुराना गीत हाट बाजार से लेकर घर-घर में गुनगुनाया जा रहा है… महंगाई डायन खाए जात है!
खुदरा महंगाई दर का आंकड़ा 18 महीने के उच्चतम स्तर पर जा पहुंचा है. इससे बड़ी चिंता की बात क्या हो सकती है. अप्रैल महीने में खुदरा महंगाई दर का आंकड़ा 7.79% रहा.इस महीने खाद्य महंगाई दर 8.38% रही. जबकि मार्च 2022 में खुदरा महंगाई दर 6.95% रही थी.मार्च महीने में खाद्य महंगाई दर 7.68% रही थी.
मार्च 2022 में शहरी इलाकों में खुदरा महंगाई दर 8.38% रही थी जबकि ग्रामीण इलाकों में यह 7.09% रही थी.वर्तमान में आरबीआई के महंगाई दर के तय किए गए अप्पर लिमिट 6% से भी बहुत ज्यादा महंगाई है. अप्रैल में आरबीआई ने 2022 23 में महंगाई दर 5.7% रहने का अनुमान जताया था.
इसमें कोई शक नहीं कि महंगाई को बढ़ाने में आरबीआई का भी कम हाथ नहीं है. हालांकि महंगाई को नियंत्रण करने की कोशिश में आरबीआई ने 4 मई को रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी करने का ऐलान किया था. सेंट्रल बैंक ने कैश रिजर्व रेशों में भी 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की थी. इसका परिणाम यह हुआ कि एक के बाद एक बैंक से लेकर हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां होम लोन से लेकर दूसरे सभी तरह के लोन महंगी करती जा रही हैं. ईएमआई महंगी होने से देनदार को भी काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. ऊपर से महंगा सामान खरीदने में ही उनके पसीने छूटने लगते हैं.
वर्तमान में ऐसा नहीं लगता कि महंगाई पर किसी तरह का नियंत्रण हो सकेगा. अगर खुदरा महंगाई दर का आंकड़ा इससे भी अधिक पार जाता है तो जून महीने में जब आरबीआई द्वि मासिक
कर्ज नीति की समीक्षा करेगा तो एक बार फिर से कर्ज महंगा होगा. इसकी संभावना ज्यादा दिख रही है. ऐसे में लगता नहीं कि इतनी जल्दी महंगाई डायन से पिंड छूटने वाला है.