नीम हकीम खतरे जान एक प्रसिद्ध और आजमाया हुआ मुहावरा है, जिसको इस संदर्भ में समझना चाहिए कि अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो उसका इलाज छोटे डॉक्टर से नहीं कराना चाहिए अन्यथा मरीज की जान को खतरा उत्पन्न हो सकता है. हमारे आसपास अनेक लोग मिल जाएंगे,जो खुद को सब तरह से योग्य और समर्थ डॉक्टर का दावा करते हैं. ऐसे लोग भी मिल जाएंगे जो किसी नर्सिंग होम के बारे में बढ़-चढ़कर दावे करते हैं. वे रोगी का ऐसे ब्रेनवाश करते हैं कि रोगी उनकी बातों में आ जाता है और यहीं से उसकी मुसीबत शुरू हो जाती है.
बड़े बुजुर्गों ने कहा है कि अगर साधारण दवाई से रोग पर नियंत्रण नहीं हो रहा है तो योग्य डॉक्टर को दिखाना ही बुद्धिमानी रहती है. सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों में अनेक नर्सिंग होम खुल गए हैं, जहां मरीजों का इलाज के नाम पर उनके केस को और जटिल बना दिया जाता है. ऐसे नर्सिंग होम में योग्य डॉक्टर मिल जाएंगे, इस बात की कोई गारंटी नहीं.
सबसे पहले यह बता दूं कि आपके आसपास जो भी नया नर्सिंग होम अथवा निजी अस्पताल खुलता है तो सर्वप्रथम उसकी मार्केटिंग की जाती है ताकि लोगों को पता चले और मरीज अधिक से अधिक संख्या में वहां आए.मार्केटिंग करने वाले इस बात का ध्यान नहीं रखते कि रोग की डायग्नोसिस के लिए उनके पास क्या इंतजाम और सुविधाएं हैं. इस बात का भी ध्यान नहीं रखते कि जिस केस को वह हैंडल कर रहे हैं क्या उसके लिए उनके पास पर्याप्त साधन और सुविधाएं हैं.
इसमें कोई शक नहीं कि सिलीगुड़ी समेत पूरे उत्तर बंगाल में हाल के दिनों में अनेक ऐसे नए नर्सिंग होम खुले हैं जहां आधुनिक संसाधनों का पूरा अभाव है. यहां तक कि कई नर्सिंग होम में बुनियादी सुविधाएं तक मौजूद नहीं है. इसके बावजूद मार्केटिंग के चलते यहां रोगियों की भीड़ लगी रहती है. अगर कोई गंभीर मरीज ऐसे नर्सिंग होम अथवा अस्पताल में लाया जाता है तो उसके उपचार की बात क्या करें, उसका जीवन ही दांव पर लग जाता है.
कुछ इसी तरह की घटना सिलीगुड़ी के निकट मैनागुड़ी प्रखंड के एक निजी अस्पताल में घटी है, जहां नर्सिंग होम के डॉक्टरों ने मरीज का ऑपरेशन करके उसे यमलोक पहुंचा दिया. मरीज पथरी की समस्या से पीड़ित था. धुपगुडी के एक निजी नर्सिंग होम में मरीज के गाल ब्लैडर का ऑपरेशन किया गया था. ऑपरेशन के बाद मरीज की तबीयत अचानक अधिक खराब हो गई. इसके बाद उसे जलपाईगुड़ी के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
उक्त अस्पताल के बारे में धुपगुडी के लोगों का कहना है कि नर्सिंग होम प्रबंधन ने अपने कुछ प्रभावशाली लोगों को मार्केटिंग के लिए फील्ड में उतार दिया था. रोगी को लाने के बदले नर्सिंग होम की तरफ से मोटा कमीशन दिया जाता था. रोगी का नाम किरण मंडल बताया जा रहा है.उनके परिजनों का आरोप है कि इलाके की एक पंचायत सदस्या ने किरण मंडल तथा उनके परिजनों से संपर्क स्थापित किया और नर्सिंग होम के बारे में बड़ी-बड़ी बातें कहीं. मरीज तथा उसके परिजन व्यक्ति के झांसे में आ गए और ऑपरेशन के लिए तैयार हो गए.लोगों का कहना है कि उक्त व्यक्ति का नर्सिंग होम के साथ सीधा संपर्क था. मरीज को नर्सिंग होम में लाने के बदले में उन्हें मोटा कमीशन दिया जाता था. इसी लालच में पंचायत सदस्या ने मरीज को ऑपरेशन कराने के लिए तैयार कर लिया.
रविवार को मरीज का ऑपरेशन हुआ. ऑपरेशन के बाद मरीज की तबीयत बिगड़ने लगी. इसके बाद नर्सिंग होम प्रबंधन ने मरीज को दूसरी जगह ले जाने की सलाह दी. वहां से परिजन रोगी को जलपाईगुड़ी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ले गए जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. यह एक घटना है. इस तरह की घटनाएं देशभर में रोजाना होती रहती हैं.
ऐसी घटनाएं हमारी आंख खोल देने के लिए पर्याप्त हैं. सबसे पहले रोगी अथवा उसके परिजनों को इस बारे में पता करना चाहिए कि उनका सही इलाज कहां हो सकता है तथा यह भी कि रोगी का इलाज करने वाला डॉक्टर कितना योग्य है. रोगी को चाहिए कि किसी की बातों में आए बगैर सर्वप्रथम बीमारी के लिए उपयुक्त डॉक्टर का पता लगाए. अगर ऑपरेशन की जरूरत होती है तो ऑपरेशन करने वाला डॉक्टर कितना योग्य है, इसके साथ ही जिस निजी नर्सिंग होम अथवा निजी अस्पताल में उसका ऑपरेशन होना है वहां ऑपरेशन के लिए कितनी सुविधाएं मौजूद हैं. अब तक उक्त निजी नर्सिंग होम के द्वारा कितने लोगों का सफल ऑपरेशन किया गया है, इत्यादि कई बातों पर ध्यान देने की जरूरत होती है ना कि किसी की बातों पर आंख मूंद कर भरोसा कर लिया जाए.
बताया जा रहा है कि धुपगुडी के उक्त नर्सिंग होम में इस तरह के ऑपरेशन करने की कोई सुविधा नहीं है. इसके बावजूद मरीज का ऑपरेशन किया गया. इसके लिए जिम्मेदार कौन है. नर्सिंग होम पर लापरवाही के आरोप लग रहे हैं. जबकि धुपगुडी के उक्त नर्सिंग होम प्रबंधन का कहना है कि उनकी ओर से चिकित्सा में कोई लापरवाही नहीं की गई है. अब चर्चा है कि जिला मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी असीम मंडल नर्सिंग होम के खिलाफ उठ रहे आरोप की जांच करेंगे तथा यह भी पता लगाएंगे कि नर्सिंग होम में ऑपरेशन की सुविधा है या नहीं.
खबर समय की ओर से आप सभी को अलर्ट किया जा रहा है कि अपने आसपास के लोगों से सावधान रहें, जो किसी नर्सिंग होम के बारे में बड़ी-बड़ी बातें कहते हैं. अगर आप किसी मुश्किल में हैं तो खुद ही सच्चाई का पता लगाएं अथवा ऐसे लोग के संपर्क में आए जो आपको सही सलाह दे सकें. डॉक्टर तथा नर्सिंग होम की विश्वसनीयता के बाद ही ऑपरेशन का फैसला करें.अन्यथा नीम हकीम खतरे जान वाली घटनाएं हमारे समाज में घटती रहेंगी.