सिलीगुड़ी समेत पूरे बंगाल में प्राइमरी स्कूल खुल गए हैं. बच्चे स्कूल आ भी रहे हैं, पर स्कूल प्रांगण और कक्षा की साफ सफाई नहीं होने तथा अस्त-व्यस्त की स्थिति से बच्चे काफी परेशान हैं. इसके साथ ही अभिभावकों को भी चिंता सता रही है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तथा उनकी सरकार ने स्कूल खोले जाने से पूर्व ही निर्देश दे दिया था कि स्कूलों की साफ सफाई और सैनिटाइजेशन के बाद ही बच्चों को कक्षा में बैठाया जाए, मगर सूरते हाल यह है कि उत्तर बंगाल के अनेक स्कूलों में साफ सफाई का अभाव दिख रहा है. यहां तक कि कुछ स्कूलों में बच्चों को गंदगी के बीच ही मिड डे मील दिया जा रहा है.
अभिभावक चिंतित हैं कि गंदगी के बीच उनके बच्चे बैठेंगे और खाना खाएंगे तो क्या वह बीमार नहीं पड़ेंगे. दूसरी ओर स्कूल प्रबंधन स्टाफ की कमी का रोना रो रहा है.उनके अनुसार स्कूल में पर्याप्त संख्या में स्टाफ नहीं है. सफाई देखने वाले लोग नहीं आ रहे हैं, जिस वजह से उन्हें ही साफ सफाई का काम देखना पड़ता है. उन्होंने आशा जताई है कि धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो जाएगी. सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी.
ऐसी जानकारी मिली है कि उत्तर बंगाल के सैकड़ों स्कूलों में फंड की कमी के कारण साफ सफाई नहीं हो पाई है और ना ही वहां बुनियादी सुविधाएं जुटाई जा रही हैं. कई स्कूल तो ऐसे भी हैं जो खंडहर से दिख रहे हैं. स्कूलों की रिपेयरिंग नहीं होने से भी बच्चों को परेशानी हो रही है. अलीपुरद्वार, जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग ,उत्तर दिनाजपुर, मालदा, कूचबिहार आदि जिलों में अनेक ऐसे स्कूल हैं जहां बच्चों को काफी असुविधा हो रही है. उन्हें गंदगी के बीच ही बैठना पड़ रहा है.
उत्तर बंगाल के अनेक जिलों में निम्न प्राइमरी स्कूलों के आंगन में पेड़ और पौधों की भरमार है, जहां पत्तियां बिखरी रहती है. लेकिन उनकी भी सफाई नहीं होने से बच्चों को उसी गंदगी में बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है. इन सभी बातों से अभिभावक काफी नाराज बताए जा रहे हैं और वह अपना गुस्सा स्कूल प्रबंधन पर उतार रहे हैं.
कई स्कूलों में तो बच्चों की पर्याप्त संख्या नहीं है. वहां शिक्षक और प्रिंसिपल बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं. इसके विपरीत जहां बच्चों की संख्या बढ़ी है वहां टेबल और बैंचो की संख्या काफी कम पड़ रही है. उत्तर बंगाल के जंगली क्षेत्रों में हाथियों के हमले से अनेक स्कूल जर्जर हो चुके हैं.भवनों की मरम्मत नहीं होने से वहां बच्चों को स्कूल के प्रांगण में बैठा कर पढ़ाया जा रहा है. हालांकि प्राथमिक स्कूल संसद के अधिकारी आश्वासन दे रहे हैं कि जल्द ही बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाएगी. कई क्षतिग्रस्त स्कूलों का मुआयना किया जा चुका है. जल्द ही वहां फंड रिलीज कर दिया जाएगा ताकि स्कूलों की रिपेयरिंग हो सके. अनेक स्कूलों में फंड भेजा जाना शुरु हो चुका है. उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्द ही स्थिति सामान्य हो जाएगी तथा अभिभावकों की चिंता भी दूर हो जाएगी.