सिलीगुड़ी में जुआ-सट्टे का बाजार हमेशा से ही गर्म रहा है. आईपीएल हो अथवा कोई भी टूर्नामेंट या फिर राजनीति का मैदान, चुनाव, बाजार आदि हर चीज पर यहां नगद से लेकर ऑनलाइन दाव लगाया जाता रहा है. जुआ-सट्टे खेलाने वाले तो गिनती के लोग होते हैं, परंतु जो लोग सट्टा लगाते हैं उनकी संख्या अत्यधिक रहती है. सट्टेबाज या जुआरी कमाई करने के लिए कभी-कभी दांव लगाने वाले को ही कंगाल कर देते हैं. यही कारण है कि जुए-सट्टे की दुनिया में आता तो कुछ नहीं है जबकि इस के चक्कर में घर परिवार, धन जायदाद सब खत्म हो जाता है. जिन लोगों ने पूर्व में इस धंधे से पैसा कमाना चाहा, आज वे बर्बाद हो चुके हैं और अपना अनुभव बता कर लोगों को सावधान करने की कोशिश करते हैं.
संभवतः सिलीगुड़ी में यह पहला मौका है जब एसओजी की टीम ने चार सट्टेबाजों को अपनी हिरासत में लिया है. इससे पहले ऐसा नहीं होता था. सट्टे की दुनिया से जुड़े एक व्यक्ति ने अपना नाम न बताने की शर्त पर कहा कि सिलीगुड़ी पुलिस इससे पहले आईपीएल के सट्टे पर रेड नहीं डालती थी. आईपीएल शुरू होते ही पूरा सिलीगुड़ी शहर सट्टे बाजार में तब्दील हो जाता था. तब नगद लेनदेन के जरिए धंधा होता था. यह पहला मौका है जब सट्टा ऑनलाइन खेला गया.
सूत्र बताते हैं कि सिलीगुड़ी में कई ऐसे अड्डे हैं, जहां आज भी जुए खेले जाते हैं. पुलिस को इसकी जानकारी इसलिए नहीं होती, क्योंकि यह सब काम ऐसी जगह होता है जहां कोई आता जाता नहीं है. केवल वही लोग रहते हैं जो जुआडी -सट्टेबाजों के संपर्क में रहते हैं तथा जिन पर सट्टेबाजों का भरोसा रहता है. सट्टेबाजों की मिलीभगत से ही सारा खेल संपन्न होता है. परंतु कभी-कभी सट्टेबाजों की आपस में तू तू मैं मैं हो जाती है. इसके बाद उन्हीं सट्टेबाजों में से कोई पुलिस को सूचना देता है और इस तरह से मामला सुर्खियों में आ जाता है. अगर ऐसा नहीं होता तो सिलीगुड़ी पुलिस सुभाषपल्ली इलाके की एक दुकान तक कैसे पहुंची जहां कुछ लोग बैठ कर सट्टा लगा रहे थे.
जुआ-सट्टे की दुनिया में क्या-क्या नहीं होता. परंतु इतना तय है कि इस दुनिया से कोई कमाकर नहीं जाता बल्कि गंवा कर जाता है. 4 तथाकथित सट्टेबाजों की गिरफ्तारी से यह दावा नहीं किया जा सकता कि सिलीगुड़ी में सट्टा का बाजार शांत हो गया है. क्योंकि अभी आईपीएल का फाइनल होगा और उस समय तक सिलीगुड़ी का सट्टा बाजार गर्म रहेगा.
सूत्र बता रहे हैं कि सिलीगुड़ी में दर्जनों ऐसे अड्डे हैं,जहां गुपचुप रूप से जुआ अथवा सट्टा खेला जाता है. अधिकांश सट्टा खेलने वाले नगद दांव लगाते हैं. हारने के बाद सट्टे की चाहत पूरी करने के लिए वे चोरी करते हैं तथा छिनताई करते हैं. जानकार बताते हैं कि शॉर्टकट के जरिए पैसा कमाने का यह तरीका युवाओं को बर्बाद कर रहा है. इससे ना केवल उनका जीवन तबाह होता है बल्कि घर परिवार सब बर्बाद हो जाता है.
सिलीगुड़ी में ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जिन लोगों ने जुआ और सट्टे की लत के कारण अपना घर परिवार बर्बाद कर दिया और अब वे अपनी बर्बादी पर मातम मना रहे हैं. सिलीगुड़ी के लोगों का कहना है कि सिलीगुड़ी पुलिस को चाहिए कि शहर से जुआ और सट्टे के कारोबार को हमेशा के लिए बंद कर दे. सुभाषपल्ली इलाके से सट्टेबाजी में लिप्त चार लोगों को पकड़ने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कई लोगों ने कहा कि इसका ऐसे धंधे में लिप्त लोगों पर कुछ असर तो होगा, परंतु अभी शहर में अनेक ऐसे अड्डे हैं जहां अभी भी जुआ खेला जाता है. जिस तरह से सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट अपराध और ड्रग्स के खिलाफ अभियान चला रही है, ठीक उसी तरह से पुलिस को सिलीगुड़ी में चल रहे जुआ और सट्टे के कारोबार पर लगाम लगाने के लिए लगातार अभियान चलाते रहने की आवश्यकता है.