बेरोजगारी ना केवल पश्चिम बंगाल की बल्कि पूरे हिंदुस्तान की एक भीषण समस्या बनती जा रही है| युवा लिख-पढ़ कर अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश में कभी-कभी ऐसे लोगों के चक्कर में पड़ जाते हैं, जो उनकी तथा उनके माता-पिता की जिन्दगी भर की जमापूंजी को लूट ले जाते हैं| मैं उन दलालों की बात कर रहा हूं जो पढ़े लिखे, नौकरी के लिए बेकरार नौजवानों को सरकारी नौकरी का प्रलोभन देते है और इसके बदले मोटी रिश्वत उनसे वसूल करते हैं| इसी तरह का एक मामला बालुरघाट पश्चिम बंगाल में सामने आया है| यह महाशय तृणमूल के किसी बड़े पद पर आरूढ़ हैं| बताते हैं कि उनका संपर्क तृणमूल के बड़े-बड़े नेताओं व मंत्रियों से है| यही बता कर उन्होंने शिक्षित बेरोजगार नौजवानों को लूटना शुरु कर दिया| किसी से दो लाख तो किसी से तीन लाख रुपए ले कर उन्हें सरकारी नौकरी का आश्वासन दिया| लेकिन महीनों बीत गए, नौजवानों को नौकरी मिली नहीं और तो और यह महाशय उनके पैसे भी वापस नहीं लौटा रहे हैं| कुछ लोगों ने ठगी की शिकायत थाने में भी दर्ज कराई थी लेकिन पुलिस ने उन पर हाथ नहीं डाला क्योंकि वह तृणमूल के नेता थे और उनका संपर्क तृणमूल के बड़े नेताओं और मंत्रियों से था| लेकिन कहते हैं कि जब इंतेहा हो जाती है तब मजबूर होकर लोगों को सामने आना पड़ता है और एक साथ पुलिस पर दबाव डाला जाता है| जब पुलिस के पास इन महाशय के विरुद्ध कई शिकायतें आई तब मजबूर होकर पुलिस ने उनके खिलाफ एक्शन लेने का फैसला कर लिया| एक युवा हुमायूं तिर्की ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, उसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए उन महाशय को उनकी पत्नी के साथ गिरफ्तार कर लिया| यहां सवाल सिर्फ ठगी का ही नहीं है बल्कि पार्टी के बदनाम होने का भी है| आजकल कुछ लोग स्वार्थ के कारण पार्टी ज्वाइन करते हैं| चाहे भाजपा हो या तृणमूल या माकपा, कोई भी पार्टी हो, पार्टी में जाना यानी अपनी स्वार्थ भावना को सिद्ध करने का एक जरिया बन गया है| इनकी कुछ करतूतों के कारण ही पार्टी बदनाम होती है और पार्टी का मुखिया भी बदनाम होता है| आपको याद होगा कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि उन्होंने अपनी पार्टी को खून पसीने से सींचा है और मैं नहीं चाहती हूं कि कुछ लोग सिर्फ फसल काटने के लिए पार्टी में रहें| अगर पार्टी को उनसे कोई लाभ नहीं होता है तो उनके लिए यही अच्छा है कि वह पार्टी से बाहर हो जाएं| शायद सीएम ने इशारों-इशारों में अपनी पीड़ा व्यक्त की थी क्योंकि जिस तरह से तृणमूल में आने वाले लोग अपनी स्वार्थ की राजनीति और रोटियां सेक रहे थे उससे पार्टी जरूर बदनाम हो रही थी| यही कारण था कि ममता बनर्जी ने भू-माफियाओं के खिलाफ एक्शन लिया और आज तृणमूल के कई नेता जेल में है| आगे भी सीएम ऐसे लोगों की पहचान कर कार्रवाई करती रहेंगी| इस समाचार के माध्यम से नौकरी के लिए दर-दर ठोकर खा रहे शिक्षित बेरोजगार नौजवानों से अपील की जा रही है कि वह दलालों से दूर रहें तथा उनकी किसी भी बात में ना आयें| खासकर प्राइवेट नौकरी या सरकारी नौकरी आसान नहीं है| बेहतर होगा कि आप सरकारी नौकरी का मोह त्याग कर अपने पैरों पर खुद खड़ा होने की कोशिश करें| अपने पुरुषार्थ तथा आत्मविश्वास से रोजगार व्यवसाय में लग जाएं और पूरे समर्पण भाव से काम करेंगे तो निश्चित रूप से एक नई दिशा व ऊर्जा मिलेगी| सफलता आपके कदम चूमेगी|