अगर आप 31 मई को सिलीगुड़ी से बाहर ट्रेन से कहीं जाने की योजना बना रहे हैं तो फिलहाल आपकी यात्रा पर संकट मंडरा रहा है. क्योंकि देशभर के रेलवे स्टेशन मास्टर 31 मई को हड़ताल पर जा रहे हैं. उन्होंने रेलवे बोर्ड को हड़ताल पर जाने का नोटिस थमा दिया है. इसके जवाब में रेल मंत्रालय क्या कदम उठाता है, इस पर सबकी नजर बनी रहेगी. लेकिन उससे पहले सिलीगुड़ी समेत देशभर में यही सवाल गूंज रहा है कि क्या 31 मई को देशभर में ट्रेनों के पहिए एक साथ थम जाएंगे?
अगर ऐसा हुआ तो भारतीय रेलवे के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ जाएगा. आप सोच रहे होंगे कि क्या सरकार रेलवे का निजीकरण करने जा रही है और क्या इसके विरोध में ही स्टेशन मास्टर हड़ताल पर जा रहे हैं तो जवाब यह है कि ना तो सरकार रेलवे का निजीकरण करने जा रही है और ना ही रेलवे स्टेशन मास्टर के द्वारा इस मुद्दे को लेकर हड़ताल की जा रही है. रेलवे के निजीकरण की अफवाह के बीच रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि सरकार रेलवे का निजीकरण करने नहीं जा रही है.
तो आखिर देशभर के रेलवे स्टेशन मास्टर 31 मई को क्यों हड़ताल पर जा रहे हैं? इसका जवाब यह है कि रेलवे में स्टेशन मास्टर के पद 6000 से ज्यादा खाली हैं. सालों से उनकी नियुक्तियां नहीं की गई है. स्टेशन मास्टर काफी समय से रेलवे बोर्ड से नियुक्तियों की मांग कर रहे हैं किंतु रेल मंत्रालय ने इस पर ध्यान नहीं दिया.
ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष धनंजय चंद्रात्रे ने कहा है कि देश के आधे से भी ज्यादा स्टेशनों पर महज 2 स्टेशन मास्टर पोस्टेड हैं. स्टेशन मास्टर की ड्यूटी 8 घंटे की होती है, किंतु कर्मचारियों के अभाव के कारण स्टेशन मास्टर से 12 घंटे की ड्यूटी ली जा रही है. जिस दिन स्टेशन मास्टर का साप्ताहिक अवकाश रहता है उस दिन दूसरे स्टेशनों से कर्मचारियों को बुलाना पड़ता है.
आपको बताते चलें कि स्टेशन मास्टर के द्वारा हड़ताल पर जाने का फैसला एकदम से नहीं लिया गया है, बल्कि अनेक वर्षों से स्टेशन मास्टर अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर सरकार पर दबाव बना रहे हैं.ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर एसोसिएशन के द्वारा बताया गया है कि अब तक रेलवे को 7 बार जानकारी दी जा चुकी है. किंतु रेल मंत्रालय के द्वारा इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया है.
पहले चरण में एसमा के अधिकारियों ने रेलवे बोर्ड को ईमेल भेजा था और मामले से अवगत कराया था. उसके बाद दूसरे चरण में स्टेशन मास्टरों ने 15 अक्टूबर 2020 को रेलवे स्टेशनों पर मोमबत्ती जलाकर विरोध प्रदर्शन किया था. लेकिन इसके बावजूद भी सरकार ने इस पर कोई सुनवाई नहीं की. तब तीसरे चरण में 20 अक्टूबर से लेकर 26 अक्टूबर 2020 तक यानी पूरा 1 सप्ताह स्टेशन मास्टरों ने काला बैज लगाकर विरोध प्रदर्शन किया था. चौथे चरण में उन्होंने 31 अक्टूबर 2020 को एक दिवसीय भूख हड़ताल करके सरकार को चेतावनी दी थी. किंतु तब भी सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया. इसके बाद पांचवें चरण में उन्होंने डिविजनल हेड क्वार्टर के सामने विरोध प्रदर्शन किया. तब भी सरकार नहीं जागी. इसके बाद छठे चरण में अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को उन्होंने ज्ञापन सौंपा तथा रेल मंत्री को भी ज्ञापन भेजा गया. इसके बाद भी रेल मंत्री ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो सातवें चरण में ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर एसोसिएशन के अधिकारियों ने रेल राज्य मंत्री से मुलाकात की. इसके बावजूद अभी तक रेलवे बोर्ड की ओर से कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है. अंततः देशभर के 35 हजार से अधिक स्टेशन मास्टर 31 मई को हड़ताल पर जाने का बोर्ड को नोटिस थमा चुके हैं. अब देखना है कि रेलवे बोर्ड नोटिस के मद्देनजर क्या कदम उठाता है.