इस सवाल का जवाब देना मुश्किल नहीं है कि लोग आत्महत्या क्यों करते हैं| आत्महत्या के अनेक कारण हो सकते हैं जैसे आर्थिक स्थिति का कमजोर होना, मनपसन्द युवक या युवती से शादी न होना, परीक्षा में असफलता, बीमारी, नशीले पदार्थों का सेवन, गरीबी, बेरोजगारी, दहेज़, तलाक, अपनों से बिछड़ने का गम आदि| इस तरह आत्महत्या के भिन्न-भिन्न कारण हो सकते हैं| यह भी देखा जाता है कि जब कोई घटना घटती है तो उसकी पुनरावृत्ति भी होती है| एक ही घटना को बार-बार सुना जाना भी कहीं न कहीं आत्महत्या को उकसाता है| पिछले एक महीने की उत्तर बंगाल में घटी आत्महत्याओं की घटनाओं पर एक नजर डाले तो इस बात की पुष्टि हो जाती है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति अवश्य होती है| १ अगस्त को उत्तर दिनाजपुर में माँ- बेटे के झगड़े में माँ की ख़ुदकुशी, जलपाईगुड़ी में कल्पना बर्मन नामक एक महिला द्वारा ख़ुदकुशी करना, मालदा में एक कॉलेज छात्र सम्राट भट्टाचार्य जो कोलकाता के एक कॉलेज में बी. ए. फाइनल का छात्र था, उसके द्वारा आत्महत्या करना, इस्लामपुर में एक युवती द्वारा ख़ुदकुशी, डूआर्स नागराकाटा की एक आदिवासी महिला द्वारा फांसी लगाया जाना, अलीपुरद्वार का सुमन ख़ुदकुशी कांड, कर्सियांग, दार्जीलिंग, रायगंज, इस्लामपुर आदि ऐसा कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां ऐसी घटनाएँ आये दिन सुनने को न मिलती हों| आत्महत्या के बारे में यूँ तो लोगों का विचार है कि ऐसा कदम केवल कायर लोग उठाते हैं, लेकिन केवल इतना कह देने से सवाल बदल नहीं जाता| अनुसंधान व अध्ययन बताते हैं कि जब सपनों तथा इच्छाओं को पूरा करना सम्भव नहीं होता, तो इस स्थिति में आत्महत्या खुद को छिपाने का एक सुगम कदम बन जाता है| अध्ययन से पता चलता है कि सर्वाधिक आत्महत्या की घटनाएँ १५ से २९ साल के युवक-युवतियों में पाई जाती है क्योंकि इस उम्र में लड़के- लडकियाँ मैच्योर नहीं होते| वे इतने भावुक होते हैं कि किसी भी तरह की असफलता सहन नहीं कर पाते और भावनाओं में बहकर आत्महत्या कर लेते हैं| नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो २०१५ के अनुसार हमारे देश में प्रत्येक घंटा एक छात्र ख़ुदकुशी करता है| आंकड़ों के अनुसार २०१५ में पूरे देश में ८९३४ आत्महत्या की घटनाएँ हुई थीं| एनसीआरबी के अनुसार ५ सालों में ३९७७५ छात्रों ने ख़ुदकुशी की थी| अगर राज्यों के क्रम पर विचार करें तो सर्वाधिक आत्महत्या की घटनाएँ महाराष्ट्र में होती है| २०१५ के आंकडें के अनुसार महाराष्ट्र में १२३०, तमिलनाडु में ९५५, छत्तीसगढ़ में ७३०, पश्चिम बंगाल में ६७६, मध्यप्रदेश में ६२५ आत्महत्या की घटनाएँ घटी थीं| रिपोर्ट बताता है कि सिक्किम यूँ तो शिक्षित प्रदेश है लेकिन यहाँ बेरोजगारी से जूझ रहे २१ से ३० वर्ष के नवजवान सबसे ज्यादा ख़ुदकुशी करते हैं| इसका कारण उनकी बेरोजगारी है|
WHO के आंकडें के अनुसार १९८७ से २००७ के बीच दक्षिण व पूर्वी भारत में आत्महत्या के सर्वाधिक मामले सामने आये थे| WHO की रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रत्येक साल एक लाख पैतीस हजार लोग आत्महत्या करते हैं| पूरे विश्व में लगभग आठ लाख लोग हर साल आत्महत्या करते हैं| २०१० में हमारे देश में एक लाख सतासी हजार लोगों ने आत्महत्या की थी| हिन्दुस्तान टाइम्स के अनुसार २०१४ में २५४२६ लोगों ने केवल ड्रग्स सेवन के कारण आत्महत्या की थी| आंकड़ों के अनुसार २०१४ में बैंक्रप्सी मामले में २३०८, विवाह ६७७३, दहेज़ २२६१, विवाहेत्तर सम्बन्ध ४७६, तलाक ३३३, परीक्षा में असफलता २४०३, बीमारी के कारण २३७४६, ड्रग्स ३६४७, प्यार में ४१६८, गरीबी के कारण १६९९, बेरोजगारी २२०७, सम्पत्ति सम्बन्धी मामले में १०६७ लोगों ने ख़ुदकुशी की थी| एनएम्एचएस २०१५ के अनुसार देश में १८ वर्ष से ज्यादा उम्र के २२% लोगों द्वारा ख़ुदकुशी करने के मामले में नशा सेवन जिम्मवार पाया गया है| एक लाख से कम आमदनी वाले ७०% लोगों ने २०१५ में ख़ुदकुशी की थी| यह आत्महत्या के भयावह किन्तु संक्षिप्त आंकडे है| आत्महत्या की घटनाओं में कमी लाई जा सकती है, अगर व्यक्ति अपनी आत्मशक्ति व मन की शक्ति पर नियंत्रण पाना सीख ले| जो लोग मानसिक रूप से कमजोर है, उन्हें अकेले नहीं छोड़ना चाहिए| अत्यधिक भावुकता से बचें, जज्बाती न हों, सोच समझ कर फैसला करें, असफलता को समान्य रूप से ले आदि तो ऐसी घटनाओं से बचा जा सकता है……